काव्य की शक्ति: भावनाओं का अभिव्यक्ति माध्यम
Keywords:
प्रासंगिकता, डिजिटल प्लेटफॉर्म, जागरूक, आकांक्षाओं, मानवीय संवेदनाAbstract
काव्य, मानवीय अभिव्यक्ति का एक ऐसा सशक्त माध्यम है, जो भावनाओं, संवेदनाओं और विचारों को शब्दों की सुंदरता और गहराई में समेटकर प्रस्तुत करता है। यह मात्र शब्दों का समूह नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलू को छूने वाली एक ऐसी कला है, जो हृदय को आंदोलित करने और मस्तिष्क को प्रेरित करने की क्षमता रखती है। काव्य में भावनाओं का संप्रेषण उसकी सबसे बड़ी शक्ति है, जो इसे साहित्य की अन्य विधाओं से अलग और विशिष्ट बनाता है। भारतीय काव्य परंपरा अपनी समृद्धि और विविधता के लिए विख्यात है, जिसमें प्राचीन वैदिक ऋचाओं से लेकर आधुनिक कविताओं तक की यात्रा शामिल है। काव्य ने हर युग में अपनी विशिष्ट भूमिका निभाई है—भक्ति काल में यह धार्मिक और आध्यात्मिक चेतना का स्वर बना, तो छायावादी युग में यह व्यक्तिवाद और भावनात्मक गहराई का प्रतीक बना। समकालीन समय में यह सामाजिक समस्याओं, संघर्षों और मानवीय संवेदनाओं का दर्पण बन चुका है। काव्य की भाषा और शैली इसकी शक्ति का आधार है, जहाँ लय, छंद, और अलंकार इसे गहराई और सौंदर्य प्रदान करते हैं। काव्य न केवल व्यक्तिगत भावनाओं की अभिव्यक्ति करता है, बल्कि यह सामाजिक चेतना और सांस्कृतिक विरासत का संरक्षक भी है। इसके माध्यम से कवि अपने समय की समस्याओं, चिंताओं, और आकांक्षाओं को प्रस्तुत करता है और पाठकों को चिंतन और क्रिया के लिए प्रेरित करता है। आधुनिक युग में, जब तकनीक और विज्ञान ने मानवीय जीवन के हर क्षेत्र में अपना प्रभाव स्थापित किया है, काव्य ने अपनी प्रासंगिकता को बनाए रखा है। डिजिटल प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया, और मंचीय कविताओं के माध्यम से काव्य ने अपनी नई पहचान बनाई है, जो आज की पीढ़ी के साथ गहराई से जुड़ी हुई है। काव्य की शक्ति इसकी सार्वभौमिकता में है, जो समय और स्थान की सीमाओं को पार करते हुए हर संस्कृति, भाषा और पीढ़ी में समान रूप से प्रभाव डालती है। यह न केवल मनोरंजन का माध्यम है, बल्कि एक ऐसा साधन है, जो मानव मन और समाज को जागरूक करने, प्रेरित करने और बदलने की क्षमता रखता है। इस प्रकार, काव्य मानवीय संवेदनाओं का वह आलोक है, जो अतीत से वर्तमान तक और वर्तमान से भविष्य तक अपनी अमिट छाप छोड़ता रहेगा।
References
• तुलसीदास - रामचरितमानस
• कबीरदास - साखी संग्रह
• जयशंकर प्रसाद - कामायनी
• महादेवी वर्मा - नीर भरी दुख की बदली
• सुभद्रा कुमारी चौहान - झाँसी की रानी
• हरिवंश राय बच्चन - मधुशाला
• सुमित्रानंदन पंत - पल्लव
• गुलज़ार - रात पश्मीने की
• आचार्य भरत मुनि - नाट्यशास्त्र (रस सिद्धांत)
• आचार्य भामह - काव्यालंकार
• डॉ. रामविलास शर्मा - आधुनिक हिंदी काव्य की विकास यात्रा
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