काव्य और संवेदना: मानवीय भावनाओं की गहराई

Authors

  • अभिक त्रिभुवन विश्वविद्यालय, नेपाल

Keywords:

सांस्कृतिक, विसंगतियों, संवेदनशीलता, करुणा, प्रत्यक्ष चित्रण, भारतीय काव्य परंपरा

Abstract

काव्य और संवेदना का संबंध अत्यंत गहरा और परस्पर पूरक है, जो मानवीय भावनाओं के विभिन्न आयामों को उजागर करता है। काव्य केवल शब्दों का संकलन नहीं, बल्कि मानवीय मनोभावों की गहराइयों को अभिव्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम है। यह प्रेम, करुणा, वेदना, क्रोध, आशा, और उत्साह जैसी भावनाओं को इस प्रकार चित्रित करता है कि वे पाठक या श्रोता के हृदय को गहराई तक स्पर्श करती हैं। भारतीय काव्य परंपरा में यह संवेदनशीलता तुलसीदास, कबीर, सूरदास और महादेवी वर्मा जैसे कवियों की रचनाओं में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है। तुलसीदास के रामचरितमानस में भक्ति और करुणा का अद्भुत संगम है, जबकि महादेवी वर्मा की कविताओं में पीड़ा और नारी-संवेदना का सजीव चित्रण मिलता है। काव्य केवल भावनाओं का प्रत्यक्ष चित्रण नहीं करता, बल्कि उनके पीछे छिपी सामाजिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों को भी सामने लाता है। यह समाज की विसंगतियों पर प्रकाश डालता है और संवेदना के माध्यम से जागरूकता लाने का कार्य करता है। आधुनिक संदर्भ में भी काव्य का महत्त्व कम नहीं हुआ है; डिजिटल युग में यह नए माध्यमों जैसे सोशल मीडिया और ब्लॉग्स के जरिये अधिक व्यापक रूप से प्रसारित हो रहा है। संवेदनशील कविताएँ आज भी व्यक्ति के मन को झकझोरने और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सक्षम हैं। काव्य न केवल पाठकों को भावनात्मक रूप से जोड़ता है, बल्कि उन्हें अपने भीतर की संवेदनाओं से परिचित कराता है। इस प्रकार, काव्य मानवीय संवेदनाओं की गहराइयों को न केवल व्यक्त करता है, बल्कि उनके माध्यम से व्यक्ति और समाज के बीच एक सेतु का निर्माण भी करता है, जिससे संवेदनशीलता, करुणा और मानवीय मूल्यों को बढ़ावा मिलता है।

References

• तुलसीदास – रामचरितमानस, गीता प्रेस गोरखपुर प्रकाशन।

• सूरदास – सूरसागर, हिंदी साहित्य संग्रह प्रकाशन।

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• महादेवी वर्मा – यामा, लोकभारती प्रकाशन।

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• केदारनाथ सिंह – बाघ, रज़ा फाउंडेशन।

• सुभद्राकुमारी चौहान – झाँसी की रानी।

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• रामप्रसाद बिस्मिल – सरफ़रोशी की तमन्ना, स्वतंत्रता संग्राम कविताएँ।

• अनामिका – स्त्रीत्व का अर्थ, वाणी प्रकाशन।

• निर्मला पुतुल – नगााड़े की तरह बजते शब्द, भारतीय ज्ञानपीठ।

• हिंदी साहित्य का इतिहास – रामचंद्र शुक्ल, नागरी प्रचारिणी सभा।

• हिंदी काव्यशास्त्र – डॉ. नामवर सिंह, राजकमल प्रकाशन।

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Published

31-03-2024

How to Cite

अभिक. (2024). काव्य और संवेदना: मानवीय भावनाओं की गहराई. Kavya Setu, 1(1), 103–110. Retrieved from https://kavyasetu.com/index.php/j/article/view/10

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Original Research Articles